नमस्कार दोस्तो, पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि 3000 हजार वर्ष पूर्व, भारत के एक महान कवि कणियन पूकुन्रनार ने लिखा था कि हम (भार) सभी स्थानों के लिए हैं और सभी देशवासी अपने हैं. पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए किए गए कार्यों के बारे में बात की, साथ ही साथ स्वास्थ्य और स्वच्छता की पहल भी की.
मोदी जी ने अपने भाषण में तमिल कवि का लिया नाम

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को संबोधन मे पीएम मोदी ने कहा कि 3000 हजार साल पहले, भारत के एक महान कवि कणियन पूकुन्रनार ने लिखा था कि हम सभी स्थानों केलिए हैं और सभी अपने हैं.
आइए जानते हैं कि कौन हैं कणियन पूकुन्रनार जिसका भारत के पीएम मोदी ने लिया नाम.
कौन हे कणियन पूकुन्रनार
आपको बता दे कि कवि कणियन पूकुन्रनार की गिनती संगम एज के महानतम कवियों में होती है. वह तमिल कवि, गणितज्ञ और संगम युग के ज्योतिषी रहे हैं.संगम एज प्राचीन तमिलनाडु और केरल के इतिहास की अवधि है.
कणियन पूकुन्रनार का जन्मस्थान
कवि कणियन पूकुन्रनार का जन्म तमिलनाडु के शिवगंगा जिले के थिरुप्पुत्रु तालुक में एक ग्राम पंचायत महिबलानपट्टी में हुआ था. उन्होंने पुन्नानु और नट्रीनई में दो कविताओं की रचना की.
उनकी प्रसिद्ध तमिल बोली ‘यधुम ओरे यावरुम केलिर’ वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संगठन में दर्शायी गई है. इसका अर्थ होता है कि हमारे पास हर जगह से संबंधित है और हर कोई हमारा अपना है.
3000 साल पहले तमिल कवि ने कहा था
पीएम मोदी ने17 मिनिट के अपने भाषण के दौरान कहा कि आज से 3000 साल पहले तमिल कवि कणियन पूकुन्रनार ने कहा था, कि यादम उरे, यावरुम केड़ीर यानी हम सभी स्थानों के लिए अपनेपन का भाव रखते हैं
और सभी लोग हमारे अपने हैं. यह तीन हजार साल पहले की बात है. देश की सीमाओं से परे अपनत्व की यही भावना भारत की विशेषता है.