Maharashtra में किसकी सरकार ? हाल हि मे आए चुनाव नतिजे के बाद BJP ओर शिवसेना मे बडी जंग छिड गई है। अब देखना है कि सरकार किसकी होगी। सुत्रो के मुताबिक भाजपा ने महाराष्ट्र में शिवसेना के सत्ता में हिस्सेदारी के ‘फॉर्मूले’ पर बिल्कुल साफ कर दिया है कि वह राज्य में मुख्यमंत्री का पद साझा नहीं करेगी।

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भाजपा ओर महाराष्ट्र के मौजुदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने इस बात की पुष्टि की है कि शिवसेना के साथ मुख्यमंत्री पद साझा करने को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। साथ हि साथ उन्होंने भाजपा को 10 निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिलने का दावा भी किया।
सम्पुर्ण घटनाक्रम के बाद दोनों दलों के बीच संबंधों में खटास बढ़ सकती है। शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि सत्ता साझेदारी पर मुख्यमंत्री के बयान के बाद उद्धव ठाकरे ने शाम चार बजे प्रस्तावित बैठक रद्द कर दी।
BJP और शिवसेना में छिड़ी जंग
महाराष्ट्र के CM देवेंद्र फडणवीस ने यह भी साफ कर दिया कि सत्ता साझेदारी को लेकर शिवसेना की ओर से अभी तक किसी तरह कि मांग नहीं की गई है। यदि शिवसेना ने कोई मांग रखी तो हम उस पर मेरिट के आधार पर फैसला जरुर लेंगे। CM ने यह भी कहा कि भाजपा अगले पांच साल तक गठबंधन की स्थिर और मजबूत सरकार का नेतृत्व करेगी। हमें 10 निर्दलीय विधायकों ने समर्थन दिया है। हमें उम्मीद है कि और पांच निर्दलीय विधायक हमारा समर्थन करेंगे।
50-50 का फॉर्मूले पर नहीं हुआ फैसला
फडणवीस ने कहा कि लोकसभा चुनावों के दौरान शिवसेना ने राज्य में मुख्यमंत्री पद को लेकर 50-50 का फॉर्मूला दिया था लेकिन मेरी जानकारी में इस पर कोई फैसला नहीं किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि बाकी इस मामले में अमित शाह और उद्धव ठाकरे जी को ही पता है। वे ही इस मामले में कोई फैसला कर सकते हैं। मुख्यमंत्री के इस बयान के सामने आते ही शिवसेना ने पलटवार किया।
दबाव बनाने की रणनीति पर शिवसेना
आपको जानकारी देदे कि शिवसेना महाराष्ट्र में भाजपा पर दबाव बनाने की रणनीति पर अमल कर रही है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे कह चुके हैं कि यदि 50-50 वाले फॉर्मूले’ पर मुख्यमंत्री के लिए भाजपा सहमत नहीं बनी तो उनके पास दूसरे विकल्प भी हैं। शिवसेना के दूसरे नेता भी भाजपा पर दबाव बनाने में लगे हुए हैं।
यही वजह है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा के सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद NDA की सरकार बनने की राह आसान नहीं दिखाई दे रही है।