क्या आप जानते है कि नवरात्रि दशहरा ओर दिवाली भाअरत मे हि क्यो मानाये जाते है। हम सभी जानते है, की भारत को त्योहारो कि भुमि कहा जाता है। तो आखिरी तक पढिए हमारे इस लेख को ओर जानिए दिवाली क्यो मनाते है ओर कैसे मनाते है। दिवाली को दीप पर्व अर्थात दीपों का त्योहार कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का अंत किया था। तो वही नवरात्री यानि कि नो राते, नवरात्रि को मां दुर्गा का पर्व कहा जाता है। आज हम आपको इस लेख मे बताएंगे importance of diwali festival, diwali kyu manaya jata hai आदि।
नवरात्रि क्यो मनाते है – Navratri kyu manate hai in hindi
हमारे इस लेख मे हम बताएंगे कि Navratri kyu manate hai सबसे पहले आपको बतादे कि नवरात्रि एक वर्ष मे दो बार मनायी जाती है, एक चेत्र नवरात्रि ओर दुसरी शारदीय नवरात्रि। चेत्र नवरात्री वर्ष के मार्च-अप्रेल महिने मे आती है तो वहि शारदीय नवरात्रि अक्टुम्बर-नवम्बर माह मे आती है। कई सदियों से हम नवरात्रि का त्योहार मनाते चले आ रहे हैं, व्रत रखते आ रहे हैं।
देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से नवरात्रि के त्योहार को मनाया जाता है। कुछ लोग पूरी रात गरबा और आरती कर नवरात्रि के व्रत रखते हैं, तो वहीं कुछ लोग व्रत और उपवास रख मां दुर्गा और उसके नौ रूपों की पूजा करते हैं।
नवरात्री के नो दिनो तक हम मां दुर्गा के नो रुपो कि पुजा कि जाती है। पुरानी परम्परा के अनुसार माना जाता है की नवरात्री के पहले दिन मां जन्म हुआ था ओर मां दुर्गा के कहने पर ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण आरम्भ किया था।
अब हम आपको बताएंगे कि मां दुर्गा के नो रुपो के बारे मे तो आइए जानते है उनके बारे मे विस्तार से-
माँ दुर्गा के नौ रूप के नाम – Maa Durga ke 9 roop name in hindi
- मां शैलपुत्री
पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री को सफेद चीज पसंद है। इस दिन सफेद चीजों का भोग लगाया जाता है, और अगर यह गाय के घी में बनी हों तो व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है, और हर तरह की बीमारी दूर होती है।
मंत्र – ह्रीं शिवायै नम:
- मां ब्रह्मचारिणी
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भेग लगाया जाता है। इन्हीं चीजों का दान करने से लंबी आयु का सौभाग्य भी पाया जा सकता है।
मंत्र – ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:
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- मां चंद्रघंटा
तिसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगाएं और और इसी का दान भी करें। ऐसा करने से मां खुश होती हैं, और सभी दुखों का नाश करती हैं।
मंत्र – ऐं श्रीं शक्तयै नम:
- मां कुष्मांडा
चौथे दिन मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं। इसके बाद प्रसाद को किसी ब्राह्मण को दान कर दें और खुद भी खाएं। इससे बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय क्षमता भी अच्छी हो जाएगी।
मंत्र – ऐं ह्री देव्यै नम:
- मां स्कंदमाता
पंचमी तिथि के दिन पूजा करके भगवती दुर्गा को केले का भोग लगाना चाहिए और यह प्रसाद ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है।
मंत्र – ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
- मां कात्यायनी
षष्ठी यानी छ्ठे तिथि के दिन देवी के पूजन में मधु का महत्व बताया गया है। इस दिन प्रसाद में मधु यानि शहद का प्रयोग करना चाहिए। इसके प्रभाव से साधक सुंदर रूप प्राप्त करता है।
मंत्र – क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:
- मां कालरात्रि
सप्तमी तिथि के दिन भगवती की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति शोकमुक्त होता है।
मंत्र – क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:
- मां महागौरी
अष्टमी के दिन मां को नारियल का भोग लगाएं। नारियल को सिर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। मान्यता है कि ऐसा करने से आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।
मंत्र – श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:
- मां सिद्धिदात्री
नवमी तिथि पर मां को विभिन्न प्रकार के अनाजों का भोग लगाएं जैसे- हलवा, चना-पूरी, खीर और पुए और फिर उसे गरीबों को दान करें। इससे जीवन में हर सुख-शांति मिलती है।
मंत्र – ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:
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दशहरा क्यों मनाते है – Dussehra kyu manaya jata hai in hindi
दोस्तो क्या आप जानते है कि दशहरा क्यों मनाते है ओर कैसे मनाते है(dussehra kaise manate hain)। आज के इस दोर मे दशहरा के बारे मे कोन नही जानता, ये सभी के लिए बहुत महत्वपुर्ण पर्व है। क्या आप जानते है कि दशहरा क्यों मनाते है(Dussehra kyu manate hai)।शारदीय नवरात्रि के खत्म होने यानी अगले दिन इसको मनाया जाता है, देशभर मे इस पर्व को बडे धुम-धाम से मनाया जाता है।
माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का अंत किया था। कहा जाता है कि, देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध में महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इस दिन को असत्य पर सत्य कि जित के लिए भी मनाया जाता है। इसे विजयादशमी (दशहरा) भी कहते है।

रावण की मृत्यु दशमी के दिन हुई थी। जिसके लिए विजयादशमी के दिन रावण का पुतला बनाकर जलाया जाता है। इसी के साथ इस दिन भगवान रामचंद्र चौदह वर्ष का वनवास भोगकर तथा रावण का वध कर अयोध्या पहुंचे थे इसलिए भी इस पर्व को विजयदशमी कहा जाता है।
दिवाली क्यो मनाते हैं – Diwali kyu manate hai in hindi
क्या आप जानते है दिवाली क्यो मनाते है (Diwali kyu manate) दिवाली कैसे मनाते है (Diwali kaise manate hai) दिवाली मनाने के पिछे कई पोराणिक कथाए तथा मान्यताए मानी जाती है। है। इस दिन भगवान राम ने रावण को मारकर तथा अपने 14 साल के वनवास से वापिस आयोध्या नगरी आये थे। तब नगर वासियो ने उनके आने कि खुशी मे रात्रि के समय दिप जलाये थे।
पौराणिक ग्रंथ कथाओ के अनुसार दीपावली के दिन (dipawali) ही माता लक्ष्मी दूध के सागर, जिसे केसर सागर के नाम से जाना जाता है, से उत्पन्न हुई थीं। साथ ही समुद्र मन्थन से आरोग्यदेव धन्वंतरि और भगवान कुबेर भी प्रकट हुए थे।
बात जो भी हो पर, दीपक आनंद प्रकट करने के लिए जलाए जाते हैं… खुशियां बांटने का काम करते हैं। दिपक को अंधकार का प्रतिक भी माना जाता है। क्योकि दिपक लोगो के जिवन से अंधकार को दुर करता है।
भारतीय संस्कृति में दीपक को सत्य और ज्ञान का द्योतक माना जाता है, क्योंकि वो स्वयं जलता है, पर दूसरों को प्रकाश देता है। दीपक की इसी विशेषता के कारण धार्मिक पुस्तकों में उसे ब्रह्मा स्वरूप माना जाता है।
दिवाली कैसे मनाते – diwali kaise manate hain
इस लेख मे आपको बताएंगे कि दिवाली कैसे मनाते है (diwali kaise manate hai) , दिवाली के लिए सबसे पहले अपने घर को अच्छे से साफ़ करें, घर की गन्दगी को हटाये और कूड़ेदान में ही कचरा फेकें। उसके बाद घर को साफ़ करने के बाद हम अपने घर को सजाते हैं। दिवाली में अगर अपने घर को रोशन करना है तो दिये का इस्तेमाल करना ही सही तरीका है।
दिवाली में मोमबत्ती का इस्तेमाल नहीं करना ही समझदारी का काम है। दिया तो इस भूमि की मिटटी से ही बनाया गया है, तो उसके इस्तेमाल से हमारे वातावरण को कोई हानी नही पहुंचेगी।
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आपने बहुत से घरों में देखा होगा की लोग अपने घर के बाहर दिप जलाने के साथ साथ रंगोली भी बनाते हैं। जो दिखने में बहुत ही खुबसूरत होते हैं और जिन्हें देख कर पता ही नहीं चलता की वो भी हमारे लिए हानिकारक हो सकते हैं।
तो ऐसे में क्या करना चाहिये? अगर हम रंगोली में रंगों की जगह फुल का इस्तेमाल करें जैसे गुलाब, कमल, गेंदा फुल तो वो और भी खुबसूरत लगेगा और साथ ही साथ हमें उससे कोई भी हानी नहीं पहुचेगी।
घर के सभी बच्चे दिवाली का बड़े ही बेसब्री से इंतज़ार करते हैं, क्यूंकि उस दिन उन्हें बहुत सारे पटाखे जलाने का अवसर मिलता है। बच्चों की खुसी को देख कर हम सबका मन भी प्रसन्न हो जाता है, और उनकी पसंद के सारे छोटे बड़े पटाखें हम बाज़ार से खरीद कर ले आते हैं। वो तो बच्चे हैं सही या गलत का फर्क उन्हें कहाँ मालूम रहता है लेकिन हम तो बड़े हैं उनकी सेहत का ख्याल रखने की जिम्मेदारी हमारी होती है।
दिवाली का महत्व – Importance of Diwali festival in hindi
दिवाली का पर्व भारत मे हि नही बल्की भारत के साथ साथ कई देशो मे बडे धुम धाम से मनाया जाता है। दिवाली के दिन श्रीराम हि नही वनवास से लोटे थे बल्कि मां दुर्गा ने काली का रुप धारण किया था। दिवाली का इतिहास (History of Diwali) बहुत पुराना है। दिवाली का त्योहार हमे हमारी धार्मिक व पारम्परिक रिश्तो से जोडता है। दिवाली के दिन शाम के समय धन कि देवी लक्ष्मी कि पुजा करते है। धन कि देवी लक्ष्मी पाठ करने से सभी परेशानियां दूर होती हैं
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गुडी पडवा क्यो मनाते है – Gudi padwa kyu manate hai
नमस्कार दोस्तो क्या आप जानते है कि दिवाली के दुसरे दिन गुडी पडवा क्यो मनाते है (Gudi padwa kyu manate hai) ओर कैसे मनाते है (Gudi padwa kaise manate hai)। चेत्र मास कि प्रतिपदा गुडी पडवा के नम से जानी जाती है। भारतीय संस्कृति के अनुसार माना जाता है इस दिन नववर्ष कि शुरुआत हुई थी। थी। गुडी पडवा मे गुडी शब्द का मतलब विजय पताका, युग इन आदि शब्दो से मिलकर बना है।
देश के अलग-अलग राज्यो मे इसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है। गुड़ी पड़वा को महाराष्ट्र मे बहुत खास तरह से मनाया जाता है।
वहीं गोवा और केरल में इसे संवत्सर पड़वो के नाम से मनाता है। कर्नाटक में गुडी पड़वा को युगाड़ी पर्व के नाम से जाना जाता है। आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना में इसे उगाड़ी नाम से जानते हैं।
कैसे मनाते है गुडी पडवा – Gudi padwa kaise manate hai
भारत मे लोग गुडी पडवा कैसे मनाते है, भारतीय संस्कृति मे इसे दिन गुडी पुजन करते है। इस दिन आम के पत्तो से बंदनवार यानि आम के पत्तो कि माला बनाकर घर के प्रवेश द्वार पर लगाते है। एसा करने के पिछे यह मान्यता है कि बंदनवार घर मे सुख-समृद्धि ओर खुशियां लेकर आता है।
पूरनपोली नाम का एक मीठा व्यंजन इस पर्व की खासियत है। महाराष्ट्र में गुडी पडवा के दिन श्रीखंड विशेष रूप से बनाया जाता है। बेहतर स्वास्थ्य की कामना के लिये नीम की कोपलों को गुड़ के साथ खाने की परंपरा भी है।
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तो दोस्तो आप हमारे इस लेख से समझ गये होंगे कि दिवाली क्यो मनाते है (Diwali kyu manate hai) ओर कैसे मनाते है। गुडी पडवा क्यो ओर कैसे मनाते है। दशहरा क्यो ओर कैसे मनाते है। ओर नवरात्रि के बारे मे जाना होगा। होगा। यदि यह पोस्ट Diwali kyu manate hai आपको पसंद आई हो तो इसे शेयर जरुर करे।