अमेज़ॉन ओर रिलायंस के मालिक आमने-सामने और बीच में बिग बाज़ार

दुनिया के सबसे अमीर आदमी Amazon के मालिक जेफ़ बेज़ोस ओर भारत के सबसे अमीर आदमी ओर Reliance group के मालिक मुकेश अंबानी को आज कोन नही जानता। आपको बतादे की दुनिया के सबसे बड़े अमीर जेफ़ बेज़ोस और भारत के सबसे बड़े अमीर मुकेश अंबानी आमने-सामने हैं। और बीच में हैं,’भारत के रिटेल किंग’ किशोर बियानी और उनका मशहूर ब्रांड बिग बाज़ार।

बियानी का फ़्यूचर ग्रुप अपने सारे रिटेल बिग बाज़ार (Big Bazar) इसलिए, क्योंकि वही उनका सबसे मशहूर ब्रांड है। हालाँकि सौदा इससे बड़ा है और दाँव पर जो लगा है, वो तो उससे भी कहीं बड़ा है।

दुनिया के सबसे अमीर आदमी हैं Amazon के मालिक जेफ़ बेज़ोस। इस बार उनकी जिससे ठनी है, वो हैं Reliance group के मालिक मुकेश अंबानी, भारत के सबसे बड़े और दुनिया में चौथे नंबर के अमीर आदमी। दोनों के बीच तकरार की वजह हैं किशोर बियानी और उनका फ़्यूचर ग्रुप।

बीते रविवार को अमेज़ॉन ने सिंगापुर के अंतरराष्ट्रीय पंचाट सिंगापुर इंटरनेशल आर्बिट्रेशन सेंटर से एक अंतरिम आदेश जारी करवा लिया कि फ़्यूचर ग्रुप अपना कारोबार रिलायंस ग्रुप को नहीं बेच सकता क्यों और कैसे पर आएँ, इससे पहले समझना ज़रूरी है कि यह सौदा है क्या।

और होलसेल कारोबार को रिलायंस समूह की कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड को बेचने के क़रार पर दस्तख़त कर चुका है।अगस्त में दोनों कंपनियों ने एलान किया था कि इसके लिए रिलायंस क़रीब 24,700 करोड़ रुपये चुकाएगा।

सारे बड़े रिटेलरों Reliance Amazon की नज़र है, फ़्यूचर ग्रुप बिग बाजार पर

तब भी इस बात पर सवाल उठ रहे थे कि आख़िर किशोर बियानी ऐसा सौदा क्यों कर रहे हैं। जिसमें उनका सबसे प्रिय ब्रांड बिग बाज़ार ही नहीं, पूरा रिटेल और होलसेल कारोबार बिक जाएगा और फिर भी कंपनी का या प्रोमोटर का पूरा क़र्ज़ उतर नहीं पाएगा।

यह बात समझना मुश्किल भी नहीं था। कंपनी ने पिछले कुछ सालों में नए कारोबार खड़े करने में काफ़ी रुपये ख़र्च किये थे और इसके लिए प्रोमोटर यानी बियानी परिवार ने अपने ख़ुद के शेयर भी गिरवी रखे हुए थे। उन्हें उम्मीद थी कि जल्दी ही बाज़ार सुधरेगा, कमाई बढ़ेगी और वो यह सारा क़र्ज़ उतारकर शेयर छुड़ा लेंगे।

किशोर बियानी काफ़ी समय से दुनिया के किसी बड़े रिटेलर से हाथ मिलाने की कोशिश में भी थे। वॉलमार्ट से भी उनकी लंबी बातचीत चली और दुनिया के कई और दिग्गजों से भी। फ़्रांस की कारफ़ुअर के साथ उनके समझौते की ख़बरें तो 10 साल पहले सुर्खियों में थीं।

दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन रिटेलर Amazon

शायद इसीलिए कई रिटेलर अपने-अपने पार्टनर तलाश कर बैठे थे कि जैसे ही क़ानूनों में बदलाव होगा, हम अपना समझौता आगे बढ़ा लेंगे।

वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम का अनुमान था कि 2030 तक भारत, अमरीका और चीन के बाद दुनिया का सबसे बड़ा रिटेल बाज़ार हो जाएगा।

इस साल देश के रिटेल कारोबार का आकार क़रीब 70 हज़ार करोड़ डॉलर है, जिसके 10 साल में बढ़कर क़रीब 1.3 लाख डॉलर हो जाने का उम्मिद है।

ज़ाहिर है कि दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन रिटेलर Amazon इस बाज़ार का बड़ा हिस्सा अपनी झोली में देखना चाहता है। यह उम्मीद भी लगातार बढ़ ही रही थी कि आज नहीं तो कल सरकार इस कारोबार में विदेशी निवेश का रास्ता आसान करेगी।

शायद इसी पेशबंदी में Amazon ने फ़्यूचर ग्रुप के साथ एक सौदा किया। पिछले साल यानी 2019 के अगस्त में Amazon ने फ़्यूचर ग्रुप की कंपनी फ़्यूचर कूपन्स लिमिटेड में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी ख़रीदी।

कोरोना महामारी के कारण हुई थी समस्या

इसी वक़्त रिलायंस रिटेल का दबदबा बाज़ार में बढ़ रहा था और आईपीओ के बाद D-mart भी नए जोश से कारोबार फैलाता दिख रहा था।

क़र्ज़ की ज़रूरत पूरी करने के लिए प्रोमोटर ने भी अपने काफ़ी शेयर गिरवी रखे हुए थे। उस वक़्त फ़्यूचर रिटेल का शेयर क़रीब 380 रुपये का चलता था। लेकिन इस साल फ़रवरी में अचानक इसके शेयरों में तेज़ी से गिरावट आई और कुछ ही समय में यह गिरकर 100 रुपये से कम पर पहुँच गया।

भाव गिरता है, तो क़र्ज़ देने वाले बैंक मार्जिन में और शेयर माँगते हैं। हालात यह हुए कि कुछ ही समय में प्रोमोटरों के क़रीब क़रीब सारे शेयर बैंकों के पास गिरवी हो गए।

इसी वक़्त Reliance Retail का दबदबा बाज़ार में बढ़ रहा था और आईपीओ के बाद डी-मार्ट भी नए जोश से कारोबार फैलाता दिख रहा था।

क़र्ज़ की ज़रूरत पूरी करने के लिए promoter ने भी अपने काफ़ी शेयर गिरवी रखे हुए थे। उस वक़्त फ़्यूचर रिटेल का शेयर क़रीब 380 रुपये का चलता था। लेकिन इस साल फ़रवरी में अचानक इसके शेयरों में तेज़ी से गिरावट आई और कुछ ही समय में यह गिरकर 100 रुपये से कम पर पहुँच गया।

भाव गिरता है, तो क़र्ज़ देने वाले बैंक मार्जिन में और शेयर माँगते हैं। हालात यह हुए कि कुछ ही समय में प्रोमोटरों के क़रीब क़रीब सारे शेयर बैंकों के पास गिरवी हो गए।

यह गिरावट अचानक क्यों आई

अटकलें बहुत सी हैं। कोई बियर कार्टेल या मंदड़ियों का गिरोह इन्हें पीटने में लगा था। या कोई बड़ी पार्टी भाव गिराकर इन्हें मजबूर कर देना चाहती थी। लेकिन फ़िलहाल यह सब सिर्फ़ सवाल हैं।

सूत्रों से पता चलता है कि इसके बावजूद शायद कारोबार संभल जाता, क्योंकि रोज़ की बिक्री इतनी हो रही थी कि नकदी का चक्र चल रहा था। लेकिन क़रीब क़रीब यही वक़्त था। जब कोरोना का हमला हुआ।

मार्च के महीने में लॉकडाउन एक तरह से मुसीबत का पहाड़ बन गया, क्योंकि अब हर रोज़ स्टोर में सामान बिकना और वहाँ से नकद पैसा आना भी बंद हो गया।

किशोर बियानी ने एक इंटरव्यू में कहा कि देशबंदी के बाद सारे स्टोर बंद हो गए और अगले तीन-चार महीनों में ही कंपनी को 7 हज़ार करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ। जो बर्दाश्त से बाहर था।

आख़िरकार इसीलिए कंपनी को बेचने का फ़ैसला करना पड़ा। उनका कहना है, कि इसके अलावा अब कोई चारा नहीं रह गया है।

अगर यह सौदा नहीं हो पाया, तो कंपनी दीवालिया हो सकती है।

अब सवाल यह है कि Amazon इस झगड़े को सिंगापुर क्यों ले गया और क्या यह सौदा अटक जाएगा?

रविवार को सिंगापुर से निर्देश आने के साथ उसी रात रिलायंस ग्रुप की तरफ से बयान आया कि वो इस सौदे को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

ऐसा ही बयान फ़्यूचर ग्रुप से भी आया। सूत्रों के हवाले से ख़बर आई कि फ़्यूचर ग्रुप इस अंतरिम आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दे सकता है।

क़ानून के जानकारों का कहना है कि सिंगापुर की पंचाट का फ़ैसला भारत में सीधे लागू नहीं हो सकता है।

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अगर विवाद में फँसे दोनों पक्ष उसकी बात मान लेते हैं, तब तो कोई बात ही नहीं। लेकिन अब अगर फ़्यूचर ग्रुप सौदा रोकने को तैयार नहीं होता है, तो अमेज़ॉन को भारत की किसी अदालत में जाकर सिंगापुर का फ़ैसला दिखाना होगा और यहाँ से उसका अनुमोदन करवा कर फ़्यूचर ग्रुप को और रिलायंस को निर्देश जारी करवाना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो सौदा चलता रहेगा।

Amazon Reliance आमने सामने आए क्यों?

 

सूत्रों के अनुसार, फ़्यूचर ग्रुप और रिलायंस अब पहल करने के बजाय इंतज़ार कर रहे हैं कि अमेज़ॉन मुक़दमा करे, तो वो जवाबी कार्रवाई करें। यह सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में हो सकती है क्योंकि फ़्यूचर और अमेज़ॉन के समझौते में विवाद दिल्ली में सुलझाने की बात सामने आई है।

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एक तो यह कि Amazon के साथ करार में फ़्यूचर रिटेल कोई पार्टी या पक्ष नहीं था, इसलिए उसे अपना कारोबार बेचने का पूरा हक़ है। और दूसरा यह कि अगर यह सौदा नहीं हो पाया तो फ़्यूचर ग्रुप का दीवाला निकल सकता है। इससे न सिर्फ़ कंपनी बल्कि उसके हज़ारों कर्मचारी भी मुसीबत में आ जाएँगे।

अदालत में तो जो होगा, वो सामने आएगा। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आख़िर मुकेश अंबानी और जेफ़ बेज़ोस यानी Amazon Reliance इस मसले पर आमने-सामने आए क्यों?

इसका जवाब है कि यह मामला फ़्यूचर ग्रुप या किसी एक कंपनी के सौदे का नहीं है। दोनों को ही दुनिया का सबसे चमकदार बाज़ार, बल्कि बिग बाज़ार दिख रहा है। और उसे वो अपनी ही झोली में देखना चाहते हैं।

Amazon Reliance face to face and in the middle of the Big Bazaar

वो है भारत का रिटेल कारोबार. 10,900 स्टोर्स और एक लाख 30 हज़ार करोड़ रुपये की सालाना बिक्री वाली Reliance रिटेल अब देश की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी है और फ़्यूचर ग्रुप के साथ यह सौदा उसे 1700 स्टोर और क़रीब 20 हज़ार करोड़ की आमदनी और देगा।

अमेज़ॉन भारत में साढ़े छह अरब डॉलर लगाने की योजना बनाकर बैठा है। उसे यहाँ सबसे बड़ी चुनौती Reliance से ही दिख रही है, क्योंकि उसके पास ना सिर्फ़ सबसे बड़ा रिटेल नेटवर्क है। बल्कि जियोमार्ट (jio mart) जैसा ऑनलाइन पोर्टल भी है। और Reliance जियो जैसे ज़बरदस्त नेटवर्क का साथ भी।

जबकि Amazon को सिर्फ़ ऑनलाइन कारोबार के भरोसे ही रहना है। उधर ऑनलाइन बाज़ार में उसके मुक़ाबले flipkart ने आदित्य बिड़ला फ़ैशन रिटेल में हिस्सेदारी ख़रीद ली है।

यही वजह है कि वो इस सौदे को रुकवाने के लिए ज़ोर लगा रहा है। चर्चा है कि सिंगापुर में उसने यह प्रस्ताव भी रखा कि फ़्यूचर ग्रुप यह सौदा तोड़ दे, तो वो नया ख़रीदार लाकर सौदा करवाने की ज़िम्मेदारी लेने को भी तैयार है।

यह भी हो सकता है कि Amazon सीधे Reliance के साथ कोई समझौता करना चाहता हो और फ़्यूचर के इस सौदे को ट्रंप कार्ड के तौर पर दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल कर रहा हो. अब एक हफ़्ते का समय है. यानी अगले रविवार तक तस्वीर साफ़ होगी कि किसकी अगली चाल क्या होगी।

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